भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025: एक नए युग की शुरुआत
लोकसभा ने 12 अगस्त 2025 को भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 पारित किया है, जो देश के बंदरगाह शासन को आधुनिक बनाने और व्यापार प्रक्रियाओं को सरल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
पृष्ठभूमि
भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908, जो एक सदी से अधिक समय से बंदरगाह प्रशासन को नियंत्रित कर रहा था, अब अप्रासंगिक हो गया है। वैश्विक व्यापार में तेजी से वृद्धि और पर्यावरणीय चुनौतियों ने एक डिजिटल, टिकाऊ और प्रतिस्पर्धी बंदरगाह तंत्र की मांग की है।
भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 के प्रमुख उद्देश्य
- पुराने और अप्रचलित कानून को आधुनिक, पारदर्शी और दक्षता-केंद्रित शासन प्रणाली से बदलना।
- मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (MSDC) के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना।
- बंदरगाह प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण से ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EODB) को बढ़ाना।
- हरित बंदरगाह पहल और प्रदूषण नियंत्रण के जरिए पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
- PPP और FDI निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए स्पष्ट प्रावधान।
- सभी भारतीय बंदरगाहों में सुरक्षा और परिचालन मानकों का एकीकरण।
मुख्य प्रावधान
संस्थागत सुधार
- मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (MSDC) की स्थापना।
- राज्य समुद्री बोर्ड की स्थापना।
- विवाद समाधान समितियों की स्थापना।
परिचालन सुधार
- शुल्क निर्धारण स्वायत्तता।
- एकीकृत योजना।
- तटीय नौवहन को बढ़ावा।
- डिजिटलीकरण।
पर्यावरण और सुरक्षा उपाय
- सभी बंदरगाहों पर कचरा प्राप्ति सुविधाएं।
- MARPOL (समुद्री प्रदूषण) और बैलेस्ट वाटर मैनेजमेंट संधियों का अनुपालन।
- आपदा और सुरक्षा खतरों के लिए आपातकालीन तैयारी योजनाएं।
- उत्सर्जन घटाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और शोर पावर सिस्टम को बढ़ावा।